उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम :
उपभोक्ताओ को गैरकानूनी ढंग से वस्तु सेवा विक्रय करने वाले व्यापारियों से संरक्षण प्रदान करने के लिये यह अधिनियम बनाया गया है.
उद्देश्य :
उपभोक्ताओ को सही दामो के बदले में ख़रीदे गये गलत वस्तु से होने वाली हानि से बचाना गैर कानूनी ढंग से व्यापार करने वाले व्यापारियों के बारे में जन जाग्रति करना, उपभोक्ताओ को अधिकार दिलाना इत्यादि.
उपभोक्ता संरक्षा आयोग
1. जिला आयोग :
अध्यक्ष - कोर्ट के सेवा निवृत्त न्यायाधीश .जिला :
सदस्य : एक सदस्य जिसे वाणिज्य, लेखा का समुचित ज्ञान हो. एक महिला सदस्या जो समाज सेविका हो.
सीमा : 20 लाख रूपये तक के दावे का निपटारा.
2. राज्य आयोग :
अध्यक्ष : हाय कोर्ट के सेवा निवृत्त न्यायाधीश.
सदस्य : एक सदस्य जिसे वाणिज्य, लेखा का समुचित ज्ञान हो. एक महिला सदस्यता जो समाज सेविका हो.
सीमा : 20 लाख रूपये से अधिक तथा 1 करोड़ रूपये तक के दावे का निपटारा.
3. राष्ट्रीय आयोग:
अध्यक्ष : सुप्रीम कोर्ट के सेवा निवृत्त न्यायाधीश.
दो सदस्य जिन्हें वाणिज्य ए लेखा का समुचित ज्ञान हो. एक महिला सदस्या जो समाज सेविका हो.
सीमा : 1 करोड़ रूपये से अधिक के दावे का निपटारा.
शिकायत करने की प्रक्रिया
खरीदे हुए माल या सेवा से नुकसान होने पर उपभोक्ता व्दारा दो प्रतियों में आवेदन संबंधित आयोग के पास भेजना चाहिए, जिसमें से एक प्रति आयोग व्दारा जिसके खिलाफ शिकायत की गयी है, उसे भेज दी जायेगी उसने अपना स्पष्टिकरण 30 दिनों के अंदर आयोग के पास भेजना चाहिये, शिकायतकर्ता व्दारा जिसके संबंध में शिकायत की गयी है उसका सबूत जैसे माल , वस्तु , रसीद आयोग में भेजना चाहिये, आयोग व्दारा जाँच पड़ताल के उपरांत निम्न निर्णय दिये जा सकते है.
1. उपभोक्ता व्दारा माल वापस किया जाए.
2.या वस्तु के बदले में धन वापसी दी जाए.
3. माल से होने वाले नुकसान की भरपाई करना.
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