RIGHT TO INFORMATION ACT – 2005
This act was passed in parliament and came into force from12-10-2005.
1. OBJECTIVES:-
i.To bring transparency in the working of govt. department.
ii.To fix the responsibility of work/job.
iii.To reduce the corruption.
iv.Administration will become unbiased
2. This act is applicable to all state and central government offices and public
sectors except on Jammu and Kashmir state and Security organizations run
by government.
3. Information: Through this act the information seeker can get information in
form of records, documents, e-mail, circulars, press reports, suggestions,
orders, log book details, agreements, CD ,FLOPPY, data etc.
4. For the implementation of RTI the public information officer and his assistant
officer is deputed in every govt. office.
5. Fee for application: - Rs.10. Xerox :-Rs.2. per copy
Inspection of record and document in the office first hour is free. Afterward
Rs.5 per hour will be charged.
6. After receiving the application from the applicant within 30 days information
will be conveyed to him.
7. EXEMPTED INFORMATION: The information about security, integrity, military
sector, foreign relations Of India and commercial secrets etc.
8. PENALTY: If public Information officer (PIO) does not give information within
the prescribed time he will be penalised with Rs. 250/- per day and maximum
uptoRs. 25000/-.
9. BENEFITS: Transparency in the working,Administration will be people and
development oriented, Administration will become unbiased,and Corruption will
be reduced.
10. LOSSES:Work load will increase. Clerical cost will increase.There will be
wastage of time if unrelated information was demanded. Pace of development
will reduce.
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005
उद्देश्य
(1) प्रशासन में पारदर्शिता लाना.
(2) भ्रष्टाचार को कम करना.
(3) व्यावहारिक शासक प्रणाली लाना.
(4) कार्य के प्रति जवाबदेही निश्चित करना.
सुचना प्राप्त करने की व्यावहारिक और सामाजिक व्यवस्था स्थापित करना यह कानून जम्मू और कश्मीर तथा सुरक्षा संघटनो पर लागू नही होता तथा केंद्र तथा राज्य सरकार के सभी सार्वजनिक प्राधिकरण और संस्थानों पर लागू होता है. इस कानून के तहत दस्तावेजो, रेकार्ड, पत्रावली आदी का निरिक्षण करना, नोट करना, सार लेना अथवा ईन की प्रमाणित प्रतिया प्राप्त करना शामिल है. इस कानून की अनुपालना के लिये प्रत्येक कार्यालय में जन सूचना अधिकारी, सहायक जनसूचना अधिकारी तथा अपीलीय अधिकारी को नामित किया जाता है. निर्धारित शुल्क रु. 10/- तथा झेराक्स प्रति पेज प्रति कापी रु. 2/- की दर से.
सुचनाप्राप्त करने हेतु जनसूचना अधिकारी को आवेदन करना होगा. सूचना प्राप्त करने हेतु कारण देने की जरूरत नही है, निर्धारित अवधि 30 दिन है यदि जनसूचना अधिकारी व्दारा सूचना नही दी जाती है तो वरिष्ठ अधिकारी को 30 दिन के अंदर अपील की जा सकती है.
वर्जित : कुछ सूचनाए जिससे भारत की संप्रभूता, एकता, सुरक्षा, अखण्डता तथा विदेश से संबंध या अपराधो को प्रेरणा मिले ऐसी सूचनाएं वर्जित है
दण्ड : जानबुझ कर सूचना न दिये जाने पर जनसूचना अधिकारी को दण्डित किया जा सकता है. Rs. 250/- प्रतिदिन तथा अधिकतम Rs. 25000/- तक दण्ड हो सकता है.
लाभ : कार्य प्रणाली में पारदर्शिता आएगी, सुधार होगा, विकास होगा तथा पक्षपात और भ्रष्टाचार रोकने में मदद मिलेगी.
हानिया : कार्य का बोझ बढ़ेगा, लेखन सामग्री पर व्यय होगा, समय की बरबादी होगी तथा विकास की गति कम होगी.
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