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माल वाहक के रूप में रेल प्रशासन का उत्तरदायित्व

 माल वाहक के रूप में रेल प्रशासन का उत्तरदायित्व

Responsibility of Railway Administration as a Goods Carrier

माल वाहक के रूप में रेल प्रशासन की जवाबदारी रेल अधिनियम की धारा 93 से 104 तक में बताई गई है जो इस प्रकार है --

धारा 93-- रेल प्रशासन का सामान्य उत्तरदायित्व

रेल प्रशासन की परिवहन के दौरान माल के खोने (loss),  नाश (destruction) होने, क्षति (damage)होने, क्षय (deterioration)होने व अपरिदान (Non Delivery)के मामले में पूरी जवाबदारी होगी सिवाय निम्न मामलों के -

 

1.   दैव कृत्य

2.   युद्ध का कृत्य

3.   लोक शत्रु का कृत्य

4.   विधिक आदेशिका के अधीन गिरफ्तारी, अवरोध या अभिग्रहण

5.   केंद्रीय अथवा राज्य सरकार या उसके किसी अधिकारी के द्वारा जारी कोई आदेश या निर्बन्धन

6.    प्रेषक, प्रेषिती या पृष्ठांकिती या इनके अभिकर्ता या सेवक का कार्य या लोप या उपेक्षा

7.   माल मे अंतर्निहित त्रुटि, गुण या खोट के कारण आयतन या वजन में प्राकृतिक क्षति या क्षय

8.   अप्रकट खराबी

9.    आग, विस्फोट या कोई अप्रत्याशित जोखिम

परंतु उपरोक्त नौ कारणों में भी रेलवे अपने उत्तरदायित्व से नहीं बच सकती, जब तक कि यह सिद्ध नहीं कर दिया जाता कि उसने युक्तियुक्त दूरदर्शिता (reasonable foresight) और सतर्कता  बरती है

धारा 94 - निजी सार्डडिंग के मामले में उत्तरदायित्व

जो वैगन साईडिंग में लदान के लिये रखे जाते हैं उनके मामले में रेलवे तभी उत्तरदायी होगी जब साइडिंग के मालिक के द्वारा उनके लदान होने की सूचना रेलवे को दे दी जाती है व जो वैगन साइडिंग में उतराई के लिये रखे जाते हैं उस मामले में रेलवे के द्वारा एसे रखे जाने की सूचना साइडिंग के मालिक को देने के बाद रेलवे की कोई जवाबदारी नहीं होगी।

धारा 95 - देरी से गंतव्य स्टेशन पर पहुंचने पर उत्तरदायित्व

जब पार्टी द्वारा यह सिद्ध कर दिया जाता है कि देरी से पहुंचने के कारण माल क्षतिग्रस्त हुआ है तो रेलवे उत्तरदायी नहीं होगी, यदि रेलवे यह सिद्ध कर देती है कि ऐसा विलम्ब उसके नियंत्रण के बाहर था या उसकी या उसके कर्मचारियों की लापरवाही या दुराचार के कारण नहीं हुआ है।

धारा 96 -- भारत में और विदेशों में रेलों से गुजरने वाला यातायात

एसे मामलो में माल जिस रेलवे पर क्षतिग्रस्त होगा वही रेलवे उत्तरदायी होगी।

धारा 97 -- मालिक जोखिम पर बुक छुआ यातायात

ऐसे यातायात की परिवहन में होने वाली किसी हानि, नाश, क्षति के लिए रेलवे तब ही उत्तरदायी होगी जब रेल प्रशासन या उसके कर्मचारियों की उपेक्षा या अवचार सिद्ध हो जाता है।

धारा 98 -- खराब दशा या त्रुटिपूर्ण पैकिंग होने पर

यदि खराब दशा या माल के त्रुटिपूर्ण ढंग से पैक होने का अग्रेषण नोट में पार्टी से रिमार्क लगवा लिया जाता है या माल की सुपुर्दगी के समय माल के त्रुटिपूर्ण रूप से पैक होने का पता चल जाता है तो माल के क्षति होने, क्षय होने लीकेज/ वेस्टेज होने के लिये रेलवे तब ही उत्तरदायी होगी जब रेल प्रशासन या उसके किसी कर्मचारी की उपेक्षा या अवचार सिद्ध हो जाता है।

घारा 99 -- परिवहन की समाप्ति के बाद रेलवे का उत्तरदायित्व

परिवहन की समाप्ति के बाद रेलवे 7 दिन तक भारतीय रेल संविदा अधिनियम की धारा 154, 152161 के तहत उपनिहती की तरह से जवाब दार होगी, उसके बाद रेलवे माल की हनि, नाश, क्षति, क्षय व अपरिदान के लिये उत्तरदायी नहीं होगी। ओ.आर पर बुक हुए माल के मामले में उपनिहती की तरह रेलवे तब ही उत्तरदायी होगी जब रेल प्रशासन या उसके किसी कर्मचारी की उपेक्षा या अवचार सिद्ध हो जाता है। परंतु खतरनाक माल, नाशवान माल व पशुधन के मामले में जैसे ही परिवहन समय समाप्त हो जाता है रेलवे की जवाबदारी भी समाप्त हो जाती है 7 दिन तक उपनिहती की तरह से नहीं रहती है।

घारा 100 -- लगेज के मामले में उत्तरदायित्व

लगेज के मामले में रेलवे तब ही उत्तरदायी होगी जब वह बुक हो व रेलवे रसीद जारी कर दी गयी हो व जब वह यात्री के साथ ले जाया जाता है तो रेलवे तब ही उत्तरदायी होगी जब रेल प्रशासन या उसके किसी कर्मचारी की उपेक्षा या अवचार सिद्ध हो जाता है।

धारा 101 - प्शुधन के मामले में रेलवे का उत्तरदायित्व

पशु  के भयभीत होने या अड़ियल पने के कारण या पशुओं के प्रेषक द्वारा ओवरलोड करने के कारण होने वाली किसी भी हानि, नाश, चोट के लिये रेलवे उत्तरदायी नहीं होगी।

घारा 102 -- कुछ दशाओं में दायित्व से विमुक्ति

प्रेषक द्वारा मिथ्या घोषणा करने, फ्राड करने, गलत ढंग से लदान या उतराई करने, बलवा, सिविल अशांति, हड़ताल, तालाबंदी या श्रमिकों के रोके जाने के कारण होने वाली किसी भी हानि, नाश, क्षति, क्षय, अपरिदान व अप्रत्यक्ष नुकसान के लिये रेलवे उत्तरदायी नहीं होगी।

धारा 103 -- धनीय दायित्व

यदि पार्टी प्रतिशत प्रभार नहीं देती है तो रेलवे का उत्तरदायित्व रेलवे के द्वारा समय समय पर निर्धारित मूल्य तक ही होगा, घोषित मूल्य तक तब ही होगा जब प्रेषक अधिक मूल्य पर प्रतिशत प्रभार दे देता है।

घारा 104 -- खुले वैगन के मामले में उत्तरदायित्व

सामान्यता जो वस्तु कवर्ड वैगन में ले जायी जाती है व खुले वैगन में ले जायी जाये तो वह खराब हो सकती है, प्रेषक के अग्रेषण नोट में लिखित में प्रार्थना करने पर खुले वैगन में ले जायी जाती है तो एसे माल के क्षति, क्षय व नाश होने के मामले में रेलवे का उत्तरदायित्व 50 प्रतिशत तक होगा।

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