CONSUMER PROTECTION ACT – With effect from 26-12-1986
1. This act is made by govt. to protect the customers from unlawful sellers.
2. OBJECTIVES:
i. To protect the consumers from the traders against the selling of wrong articles at the higher price.
ii. To make awareness in the public against the traders who carry out illegal trading practices.
3. CONSUMER PROTECTION COMMISSION
A. District Commission :
President: - Retired district court judge.
Members: - There are 2 members. One should have sufficient knowledge of commerce and account. The other lady member should be social servant.
Monetary Limit: - The commission can settle claims uptoRs. 20Lakhs.
B. State Commission:
President: - Retired High Court Judge.
Members: - There are 2 members. One should have sufficient knowledge of commerce and account. The other lady member should be social servant.
Monetary Limit: - The commission can settle claims more than Rs.20 Lakh and upto Rs.1 Crore.
C. National Commission:-
President: - Retired Supreme Court judge.
Members: - There are 3 members. Two membersshould have sufficient knowledge of commercial and account. The other lady member should be social servant.
Monetary Limit: - The commission can settle claims of more than Rs.1 Crore.
4. PROCEURE FOR LODGEING THE COMPLAINT
The consumer can lodge the complaint in two copies with the concerned commission for the loss suffered by him against the articles or services purchased from the trader. One copy will be sent by the commission to the trader against whom complaint has been lodged. He must send his reply within 30 days after getting the copy of complaint from the commission. The complainant should deposit receipt and concerned article with the commission. After verification of articlesreceipt and other documents; the commission can deliver the following judgement.
(1) The consumer can return the same good.
(2) The refund in cash will be given by the trader to the complainant for the damaged/adulterated article.
(3) The compensation should be given by the trader in cash or kind.
उपभोक्ताओ को गैरकानूनी ढंग से वस्तु सेवा विक्रय करने वाले व्यापारियों से संरक्षण प्रदान करने के लिये यह अधिनियम बनाया गया है.
उद्देश्य :
उपभोक्ताओ को सही दामो के बदले में ख़रीदे गये गलत वस्तु से होने वाली हानि से बचाना गैर कानूनी ढंग से व्यापार करने वाले व्यापारियों के बारे में जन जाग्रति करना, उपभोक्ताओ को अधिकार दिलाना इत्यादि.
उपभोक्ता संरक्षा आयोग
1. जिला आयोग :
अध्यक्ष - कोर्ट के सेवा निवृत्त न्यायाधीश .जिला :
सदस्य : एक सदस्य जिसे वाणिज्य, लेखा का समुचित ज्ञान हो. एक महिला सदस्या जो समाज सेविका हो.
सीमा : 20 लाख रूपये तक के दावे का निपटारा.
2. राज्य आयोग :
अध्यक्ष : हाय कोर्ट के सेवा निवृत्त न्यायाधीश.
सदस्य : एक सदस्य जिसे वाणिज्य, लेखा का समुचित ज्ञान हो. एक महिला सदस्यता जो समाज सेविका हो.
सीमा : 20 लाख रूपये से अधिक तथा 1 करोड़ रूपये तक के दावे का निपटारा.
3. राष्ट्रीय आयोग:
अध्यक्ष : सुप्रीम कोर्ट के सेवा निवृत्त न्यायाधीश.
दो सदस्य जिन्हें वाणिज्य ए लेखा का समुचित ज्ञान हो. एक महिला सदस्या जो समाज सेविका हो.
सीमा : 1 करोड़ रूपये से अधिक के दावे का निपटारा.
शिकायत करने की प्रक्रिया
खरीदे हुए माल या सेवा से नुकसान होने पर उपभोक्ता व्दारा दो प्रतियों में आवेदन संबंधित आयोग के पास भेजना चाहिए, जिसमें से एक प्रति आयोग व्दारा जिसके खिलाफ शिकायत की गयी है, उसे भेज दी जायेगी उसने अपना स्पष्टिकरण 30 दिनों के अंदर आयोग के पास भेजना चाहिये, शिकायतकर्ता व्दारा जिसके संबंध में शिकायत की गयी है उसका सबूत जैसे माल , वस्तु , रसीद आयोग में भेजना चाहिये, आयोग व्दारा जाँच पड़ताल के उपरांत निम्न निर्णय दिये जा सकते है.
1. उपभोक्ता व्दारा माल वापस किया जाए.
2.या वस्तु के बदले में धन वापसी दी जाए.
3. माल से होने वाले नुकसान की भरपाई करना
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